पंचकोत के वीर कुर्मी |
बंगाल की छवि गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटका जैसे कुर्मी बाहुल्य राज्य की नहीं है ना ही बिहार या छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की है जहां पर कुर्मी राजनीति का केंद्र बने हुए हैं।
परंतु बंगाल में कुर्मियों की ऐसी रियासत है जिसकी उत्पत्ति गुप्त साम्राज्य से भी पहले की है 80 ईस्वी के समय बंगाल के पुरूलिया जिले में पंचकोट नाम की रियासत की नींव रखी गई महाराजाधिराज दामोदर शेखर जी ने गण पंचकोट को को अपनी राजधानी बनाई और आसपास के क्षेत्र में अपने राज्य का विस्तार किया पंचकोट का राज परिवार अवधिया कुर्मी वंश से है वहीं वंश जिसने कौशल महाजनपद की स्थापना की तथा बिहार पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले श्री नीतीश कुमार जी भी इसी अवधिया कुर्मी कल से ही आते हैं।
लगभग 17000 एकड़ में फैली यह रियासत उत्तर में दामोदर की नदी से लेकर दक्षिण में स्वर्णरेखा की नदी तक फैली है सन 1929 में अजीत प्रसाद सिंह जी ने कुर्मी समाज की एक स्थानीय महापंचायत भी बुलाई थी इसमें वह सभापति का रोल अदा कर रहे थे जिसका प्रमाण हमे Mr Doblue Lassy जी विस्तार में देते है।
Bengal District Gazetiear में भी राजपरिवार को कुर्मी क्षत्रिय ही बताया गया है।
Bikram Mandal जी की किताब THE BROKEN PALACE,THE LOST MAJESTY OF BENGAL में भी राजपरिवार को कुर्मी क्षत्रिय बताया गया है,
पंचकोट वह पूरा जंगलमहल का क्षेत्र पूरे बंगाल में कुर्मियों का एक गण है पंचकोट रियासत की नींव महाराजाधिराज दामोदर शेखर जी ने 80 के ईस्वी में रखी थी आज भी उसे क्षेत्र में कुर्मी वीरों ने अपनी क्षमता व सामर्थ्य से पूरे क्षेत्र में अपना दबदबा और प्रभुत्व कायम किया हुआ है।
राजपरिवार ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी को भी एक एंबेसडर कार गिफ्ट में दी थी।
आज जहां ज्यादतर कुर्मी समाज बहुजनवाद और हिंदुत्व की बोझ ढोने का काम कर रहा,ऐसे में समाज को कुर्मितव और कृषक विचारधारा पर आगे बढ़ कर देश और समाज का नेतृत्व करना चाहिए।
जय कुर्मी समाज
जय छत्रपति शिवाजी महाराज
जय सरदारज
जय कृषक
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