उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य जहां की कुल जनसंख्या 20 करोड़ करोड़ 20 करोड़ करोड़ 20 करोड़ करोड़ से भी अधिक है जहां पर लोकसभा सीट 80 सीटें आती है पता विधानसभा की सीटें आती है देश के अधिकतर प्रधानमंत्रियों के सभी क्षेत्र भी उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश क्षेत्र भी उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश प्रदेश से ही आते हैं उत्तर प्रदेश राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाका है उत्तर प्रदेश में 15 की आबादी आबादी की आबादी आबादी रखने वाला कुर्मी समाज आज तक उपेक्षित रहा उपेक्षित रहा गौरवशाली इतिहास व सम्मानजनक वर्तमान वर्तमान होने के बावजूद अभी भी कोई भी कुर्मी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बन सका आज आप सभी सभी चर्चा करेंगे उन कारणों का किसकी वजह से कुर्मी समाज उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिछड़ बिछड़ की राजनीति में बिछड़ बिछड़ गया
अंतर्जनपदीय अंतर जाति विवाह विवाह की कमी
कुर्मी समाज उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में फैला हुआ है पूर्वांचल आवाज पश्चिमी यूपी यूपी पर कुर्मी समाज में अभी भी अंतर्जनपदीय अंतर उपजाति वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं होता इसकी वजह से समाज छोटे-छोटे टुकड़ों में बढ़ जाता है जो कि कुर्मी समाज की कुर्मी समाज की शक्ति का विभाजन का मुख्य कारण रहा है कुर्मी समाज के विभिन्न उच्च जातियों के बीच एक रेखा बन जाती है अगर कुर्मी समाज को उत्तर प्रदेश की राजनीति में की राजनीति में प्रदेश की राजनीति में अधिक शक्तिशाली बनना है वह अपना हक प्राप्त करना है तो अंतर्जनपदीय अंतर जाति विवाह विवाह को बढ़ावा मिलना चाहिए
राजनैतिक चेतना की कमी
कुर्मी समाज उत्तर प्रदेश की आबादी का मुख्य हिस्सा है का मुख्य हिस्सा है इसके बावजूद कुर्मी समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी हमेशा से ही काम रही है काम रही है इसका मुख्य कारण यह है कि कि है कि कि आम कर्मियों के अंदर राजनैतिक के अंदर राजनैतिक चेतना की भारी कमी है ज्यादातर कुर्मी सिर्फ उत्पत्ति से एक कुर्मी कुर्मी एक कुर्मी कुर्मी है राजनैतिक रूप से वह किसी पार्टी की चाटुकारिता में व्यस्त रहते हैं चाटुकारिता की वजह से कुर्मी समाज के राजनीतिक पतन पतन राजनीतिक पतन पतन सुआ और अगर कुर्मी समाज को छत्रपति राज लाना है तो खुद के अंदर सुधार करना कथक खुद के लोगों के अंदर चेतना जगाना चाहिए
सर्वमान्य नेता की कमी
इस लंबे वक्त के दौरान विभिन्न पार्टियों द्वारा कई सारे कुर्मी नेता है जैसे कि विनय कटियार ओम प्रकाश सिंह बेनी प्रसाद वर्मा साकेत गंगवार रामकुमार पटेल इस बात में कोई कोई संदेह नहीं है कि वह एक एक योगी राज नेता थे नेता थे परंतु कुर्मी समाज का ही समर्थन जुटाने में असमर्थ रहे जिसकी वजह से उनकी राजनीति एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित रह गई और आगे नहीं बढ़ पाए पाए
कुर्मी की पहचान एक शांतिप्रिय मानवतावादी जीव की है जो अपना जीवन आदर्शों के आधार पर चलता है जातिवाद व पंचवाद कुर्मी का हिस्सा नहीं है परंतु वर्तमान समय में अपने अस्तित्व को बचाने वह अपनी महान विरासत के संरक्षण के लिए राजनीतिक हिस्सेदारी होना अति आवश्यक है होना अति आवश्यक है इसलिए प्रत्येक कुर्मी को चाहिए कि वह वह अपने अंदर राजनीतिक चेतना को विकसित करें वह पूरे समाज में इस क्रांति क्रांति क्रांति का विस्तार करें जिस दिन या क्रांति क्रांति विराट रूप धारण कर लेगी उस दिन कुर्मी समाज सकता पर काबिज हो जाएगा
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