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कुर्मी वंश का गौरव शाली इतिहास पार्ट 1

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टांडा की विरासत में है कुर्मी मुस्लिम भाईचारा

  अंबेडकर नगर जिले में स्थित कस्बा टांडा जिसे सन 1714 में मुगल सम्राट फरुखशियर के फरमान पर राजा सैयद हुसैन अली साहब ने बसाया था आज भी मुस्लिम समाज के भाइयों की अच्छी संख्या है।  अंबेडकर नगर और आसपास के इलाकों में जैसे-जैसे संघी मजबूत होते गए अवध में सांप्रदायिकता भी अपने परवान चढ़ती गई,टांडा भी इससे अछूता नहीं रहा। ऐतिहासिक रूप से टांडा के मुस्लिम है वतनपरस्त रहे हैं, 1857 की क्रांति में राजा सैयद हुसैन अली साहब और उनके भाई राजा सैयद अब्बास अली ने पूरी मजबूती से अंग्रेजों से लोहा लिया था।  टांडा समेत पूरे अंबेडकर नगर में कुर्मी और मुस्लिम समाज के बीच हमेशा से ही भाईचारा रहा है,यहां के कुर्मी हमेशा सही शिक्षित और प्रोग्रेसिव माइंडसेट के रहे हैं। अभी हाल ही में एक कॉल रिकॉर्डिंग वायरल हो रही है जिसमें भाजपा के दो सदस्य आपस में लड़ते हुए, गाली गलौज करते हुए सुनाई दे रहे हैं वर्मा जी टांडा से हैं और आरएसएस के विचारधारा से प्रभावित है पर उन्हें 20 साल से भाजपा में सेवा देने के बावजूद भी अपनी लॉयल्टी पंडित के सामने दिखानी पड़ रही है, प्रूफ करनी पड़ रही है। मेरा व्यक्तिगत मत है कि कुर्मियों क

24 में यूपी के कुर्मी तोड़ेंगे सारे रिकॉर्ड

 2019 में यूपी के पुराने सारे रिकॉर्ड टूट जाते हैं 80 में से 8 सीटों पर कुर्मी प्रत्याशी की जीत हुई वह भी तब जब बाराबंकी कौशांबी हरदोई बहराइच जैसे कुर्मी बाहुल्य सीटों को आरक्षण के दायरे में लाकर कुर्मियों से दूर कर दिया जाता है।  अंबेडकर नगर लखीमपुर और बस्ती जैसे किले टैक्टिकल वोटिंग के चलते कुर्मी हार जाते हैं।  पीलीभीत को कृत्रिम रूप से एक परिवार विशेष के हवाले कर दिया जाता है और वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकर कुर्मियों को न्यूट्रलाइज कर देते हैं इन सब के बावजूद 8 सीटों पर कुर्मियों का कब्जा हो जाता है जो कि लोकसभा के कुल 10% थी, तीन से पांच प्रतिशत कुर्मी आबादी दिखाने वाली मीडिया के मुंह पर यह तमाचा था, परिणाम 2022 में देखा जा सकता है विधायकों की संख्या ने भी सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए कुल 43 विधायक विजयी हुए जो की कुल संख्या का 10.67 फीसद है। अब 24 के चुनाव सिर पर है उत्तर भारत के कुर्मी राजनीति के लिए यह decisive मोमेंट है time of judgement है प्रतापगढ़ गोंडा पीलीभीत बाराबंकी अंबेडकर नगर बस्ती लखीमपुर फतेहपुर में इस बार चूक नहीं करनी है अगर इस बार कुर्मी विचारधारा वह पार्टी

कहानी पंचकोट के कुर्मी राज की

  पंचकोत के वीर कुर्मी बंगाल की छवि गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटका जैसे कुर्मी बाहुल्य राज्य की नहीं है ना ही बिहार या छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की है जहां पर कुर्मी राजनीति का केंद्र बने हुए हैं। परंतु बंगाल में कुर्मियों की ऐसी रियासत है जिसकी उत्पत्ति गुप्त साम्राज्य से भी पहले की है 80 ईस्वी के समय बंगाल के पुरूलिया जिले में पंचकोट नाम की रियासत की नींव रखी गई महाराजाधिराज दामोदर शेखर जी ने गण पंचकोट को को अपनी राजधानी बनाई और आसपास के क्षेत्र में अपने राज्य का विस्तार किया पंचकोट का राज परिवार अवधिया कुर्मी वंश से है वहीं वंश जिसने कौशल महाजनपद की स्थापना की तथा बिहार पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले श्री नीतीश कुमार जी भी इसी अवधिया कुर्मी कल से ही आते हैं।  लगभग 17000 एकड़ में फैली यह  रियासत उत्तर में दामोदर की नदी से लेकर दक्षिण में स्वर्णरेखा की नदी तक फैली है सन 1929 में अजीत प्रसाद सिंह जी ने कुर्मी समाज की एक स्थानीय महापंचायत भी बुलाई थी इसमें वह सभापति का रोल अदा कर रहे थे जिसका प्रमाण हमे Mr Doblue Lassy जी विस्तार में देते है। Bengal District Gazetiear में भी राजपरिवा

भारतीय नौसेना में क्या है कुर्मियों का योगदान, आज भूल बैठे है कुर्मी

हमारा देश भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है लंबी समुद्री सीमा देश की व्यवस्था को और ज्यादा विराट को प्रदान करती है। भारत बहुत पुराने समय से समुद्र के रास्ते व्यापार करता आया है। समुद्रों का इस्तेमाल राज्य अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए भी खूब करते आए हैं और ,आज भी कर रहे हैं तभी तो चीन लगातार हिंद महासागर में भारत को घेरने के लिए अपने बंदरगाहों और जंगी जहाजों की संख्या में वृद्धि कर रहा है। भारत भूमि के शासक वर्ग चाहे वह दिल्ली के सुल्तान हो या राजपूत या फिर मुगल किसी ने भी नौसेना पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया परंतु कुर्मी शासकों ने नौसेना की आवश्यकता को भलीभांति जाना और देश की सुरक्षा के लिए नौसेना की स्थापना की तभी तो इंडियन नेवी कुर्मी कुलभूषण छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना प्रेरणास्रोत मानती है यहां तक की छत्रपति शिवाजी महाराज को फादर आफ इंडियन नेवी भी कहा जाता है । शिवाजी महाराज ने सन 1650 में कोंकण प्रदेश के तटवर्ती क्षेत्रों में अपनी नौसेना की नीव रखदी थी । समुद्र से होने वाले व्यापार पर पुर्तगालियों व अंग्रेजों का एकाधिकार था इसके अलावा समुद्री मार्गो पर लुटेरों व डाकुओं

ब्रिटेन में कुर्मी शेरनी प्रीति पटेल ने कैसे लगायी पाकिस्तानियों की वाट

अभी हाल ही में दिसंबर 2019 मैं ब्रिटेन में आम चुनाव हुए जहां एक तरफ से लेबर पार्टी जो कि शुद्ध रूप से भारत विरोधी है । लेबर पार्टी में पाकिस्तानी मूल के लोगों की अच्छी खासी तादाद है यहां तक कि लेबर पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में साफ तौर पर यह लिखा था कि अगर वे चुनाव जीते हैं और वे सरकार में आते हैं तो वह ब्रिटिश पार्लियामेंट में भारत द्वारा धारा 370 के हटाए जाने के विरोध में एक प्रस्ताव पारित करेंगे। लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हुए पत्थरबाजी व हिंसा में लेबर पार्टी के सादिक खान की भूमिका थी। लेबर पार्टी के विरोध में कंजरवेटिव पार्टी जिसमें कि भारतीय मूल के लोगों का अच्छा स्थान है विशेषकर पटेल कुर्मी का अच्छी खासी संख्या है ,वहीं कूटनीतिक रूप से भी कंजरवेटिव पार्टी भारत समर्थक मानी जाती है। कंज़र्वेटिव पार्टी की एक प्रमुख नेत्री हैं श्रीमती प्रीति पटेल चुनावों के बाद जब परिणाम आते हैं तो भारत समर्थक कंजरवेटिव पार्टी की बड़ी जीत होती है, प्रीति पटेल को ब्रिटेन के गृह मंत्री बनाया जाता है । अब क्योंकि प्रीति पटेल एक भारतीय थी उन्हें ब्रिटेन में इतना बड़ा पद मिलने के बाद अपने

बैसवार कुर्मी क्षत्रियों का गौरवशाली इतिहास

बैसवार कर्मियों का लिखित इतिहास गुप्त काल से मिलता है गुप्त साम्राज्य में बैसवार कुर्मी सामंत हुआ करते थे प्रशासनिक इकाई विश्व के अधिपति को वश कहा जाता था कालांतर में अवैध शब्द सही बैसवार शब्द का जन्म हुआ गुप्त साम्राज्य के महा सामंत बैसवार पुर में कुल शिरोमणि  ओलिकारवंशी  वंशी मालव राज यशोधर्मन ने हूड आक्रमणकारी मिहिरकुल को हराया तथा उसे कश्मीर में भागने के लिए विवश कर दिया। गुप्त साम्राज्य की अपार सफलता में बैसवार कुर्मी क्षत्रियों का अनमोल योगदान था। गुप्त साम्राज्य के पतन के उपरांत बैसवार कुर्मी क्षत्रियोे ने स्वतंत्र राज्य का निर्माण किया । बैसवार कुर्मी पुष्यभूति बर्मन ने वर्धन वंश की स्थापना की ,जिस वंश में राजा प्रभाव का वर्णन तथा दानवीर राजा हर्षवर्धन जैसे वीरों ने जन्म लिया दानवीर राजा हर्षवर्धन ने कश्मीर से लेकर से लेकर सिंध तक राज्यविस्तार किया तथा कन्नौज को देश की सत्ता का केंद्र बनाया। युद्धों के अतिरिक्त राजा ह एक राजा के रूप में प्रसिद्ध राज्य के गरीबों को दान दिया करते थे चीनी यात्री हुए अपने आचरण में लिखा है कि भारत जैसा कोई देश नहीं और राजा हर्षवर्धन जैसा कोई