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Showing posts from May, 2019

लद्दाख चोटी पर तिरंगा फतह करने वाली बेटी काजल पटेल माननीया मंत्री अनुप्रिया पटेल जी के प्रयासों से कर रही है विशेष ट्रेनिंग कोर्स : अबकी तैयारी एवरेस्ट फतह करने की |

लद्दाख चोटी पर तिरंगा फतह करने वाली बेटी काजल पटेल माननीया मंत्री अनुप्रिया पटेल जी के प्रयासों से कर रही है विशेष ट्रेनिंग कोर्स : अबकी तैयारी एवरेस्ट फतह करने की | अब माउण्ट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचेंगी काजल पटेल ! अंतर्राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग खिलाड़ी निधी सिंह पटेल के बाद मिर्जापुर की एक और बेटी काजल पटेल ने अपने माता-पिता के साथ पुरे कुर्मी समाज का नाम रोशन कर रही है! जल्द ही माउंट एवरेस्ट की चढाई पुरी करने के बाद काजल पटेल भी अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही बन जाएगी!  ! खेल मंत्रालय ने दी स्वीकृति  समुद्र तल से 18 हजार फीट की ऊंचे लद्दाखी चोटी पर तिरंगा फहराकर देश और प्रदेश में अपना नाम रोशन करने वाली पर्वतारोही काजल पटेल आजकल 29 हजार फीट यानी माउंट एवरेस्ट फतह करने की तैयारी अरुणांचल प्रदेश में जोरों सोरों से कर रही है.|  मिर्जापुर से सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने की मदद मिर्जापुर से सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पहल पर लद्दाखी चोटी पर झंडे गाड़ने वाली काजल को माउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए एक विशेष ट्रेनिंग कोर्स में

मिलाते है नए अविष्कारक विरल पटेल जी से : Ultrasonic dryer Inventor Mr. Viral Patel

सोचिए, आपको कहीं खास जगह सज-धजकर जाना हो, और बारिश का मौसम होने की वजह से आपके धुले हुए कपड़े सूखे ही न हों, तो कितना गुस्सा आता है...  Ultrasonic dryer Viral Patel लेकिन अब अमेरिका के टेनेसी राज्य में स्थित ओक रिज नेशनल लैबोरेटरी के भारतीय-अमेरिकी रिसर्च व डेवलपमेंट एसेसिएट विरल पटेल और उनकी टीम ने एक ऐसा कपड़े सुखाने का यंत्र बना डाला है, जो बड़े से बड़े कपड़ों के ढेर को सुखाने में न सिर्फ ज़्यादातर मौजूदा ड्रायरों की तुलना में आधा वक्त लेता है, बल्कि बिजली की खपत भी लगभग पांच गुना कम होगी... अपने अल्ट्रासोनिक ड्रायर के बारे में नॉक्सविले न्यूज़ सेंटिनेल से बात करते हुए विरल पटेल ने बताया, "यह बिल्कुल नई सोच है... इसमें हमने कपड़ों में मौजूद नमी (पानी के कण) को भाप बनाकर उड़ाने के स्थान पर उसे तकनीकी तौर मशीन के ज़रिये कपड़े में से निकाला है..." विरल पटेल के मुताबिक, ज़्यादातर परंपरागत ड्रायर आमतौर पर सीधी-सी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं - आसपास की हवा को भीतर खींचा जाता है, और वह हीटर या गैस बर्नर से गुज़रती हुई गर्म होकर एक ड्रम में पहुंचती है, जहां क

जाने महान क्रांतिवीर अमर शहीद गुलाब सिंह जी पटेल जी के बारे में

अमर शहीद गुलाब सिंह जी पटेल ************************ 1942 के "भारत छोड़ो" आंदोलन में बुदेलखंड -महाकौशल से अपनी प्रथम शहादत देने वाले अमर शहीद गुलाब सिंह पटेल का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर में उपनगर गोरखपुर के पंसारी मुहल्ले में 14अगस्त 1926 को हुआ था ! उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह पटेल और माता का नाम श्रीमती बेटी बाई पटेल था ! बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा और मेधा संपन्न गुलाब सिंह पटेल ने माञ 13 बर्ष की आयु से ही सार्वजनिक जीवन में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था ! उन्होंने "विद्यार्थी समिति" नामक संगठन बनाकर जबलपुर के छात्रों मैं राष्ट्रीय चेतना का संचार किया ! जबलपुर नगर तत्कालीन समय में राष्ट्रीय चेतना का गढ़ होने के कारण वह अल्प आयु में ही महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू ,सरदार पटेल जैसे नेताओं के सीधे संपर्क में आ गए ! अगस्त 1942 भारत छोड़ो आंदोलन में जबलपुर के महाराष्ट्र हाई स्कूल की कक्षा 10 में अध्ययनरत गुलाब सिंह पटेल ने 10 अगस्त को जबलपुर के गोल बाजार में छात्रों की विशाल सभा की ! उसके बाद वे जबलपुर स्थित

37% कृषक-कुर्मी कुल वंसजों का क्यूं आज राजनितिक वजूद हासिये पर है ? पढ़े इस विवेचना को और अपने विचार कमेन्ट में जरुर लिखे

"भारत एक कृषि प्रधान देश है |" यह लाइन देश का हर युवा अपने जीवन में ना जाने कितनी बार लिखा और पढ़ा होगा अपने स्कूल के दिनों में | यह लाइन पूर्णत: सत्य है | जितनी कृषि योग्य भूमि एवं जलवायु भारत देश में है उतनी विरले ही देश में होगी | पुरातन समय से कर्म आधारित जातियों में से कृषक समाज की एक महत्वपूर्ण कड़ी रही है | यह प्रजाति स्वाभिमानी मेहनतकश एवं भूस्वामी रही है | कुर्मी - देश की आबादी का लगभग 37% प्रतिनिधित्व करते हैं। वे भारत के विभिन्न राज्यों के विभिन्न नामों में फैले हुए हैं। उत्तर-पूर्व राज्यों के अलावा, वे अन्य राज्यों में एक प्रमुख जाति हैं। आज यह प्रत्येक राज्य में आर्थिक परिदृश्य में अलग अलग कैटागिरि में सूचीबद्ध है | कुछ पिछड़े राज्यों में यह SC/ST में भी आती है |कुछ में OBC में तो कही सामान्य में आते है | कृषक जाति ने वास्तव में देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज देश की राजनितिक उथल पुथल ने कृषको को हासिये पर लाकर खड़ा कर दिया है | आज़ादी के बाद से सरकारें बदलती रही पर किसान के हालत में कोई सुधार नहीं हुआ । किसान स्वयं हमेशा ही र

ज़रूर पढ़े उत्तर प्रदेश का भ्रमित कुर्मी समाज को दशा और दिशा देने वाला लेख : शासक कौम बनना है या गुलाम ?

उत्तर प्रदेश का भ्रमित कुर्मी समाज को दशा और दिशा देने वाला लेख : शासक कौम बनना है या गुलाम ? उत्तर प्रदेश का भ्रमित कुर्मी समाज की दशा और दिशा साथियो दुनियां में दो प्रकार की कौमे होती हैं एक कौम जो दिमाग से निर्णय लेती है और दूसरी वो जो दिल से सोचती और निर्णय लेती है। जो कौमे दिमाग से निर्णय लेती हैं वो शासक बन जाती हैं और जो दिल से निर्णय लेती है वह सत्ता से दूर चली जाती है क्यों कि सत्ता दिमाग का खेल है जो दिल से खेल के जीता नही जा सकता। इसीलिए इस देश मे संख्या बल में बहुत कमजोर वर्ग सत्ता में काविज रहता है और संख्या बल में ताकतवर वर्ग भी सत्ता से दूर है और विकास में पिछड़ जाता है क्यों कि सत्ता ही विकास की चावी है, जब कि जनतंत्र में होना इसके उलट चाहिए। आखिर यह गलती क्यों हो रही है और इस गलती को कैसे सुधारा जा सकता है। इसे समझने का प्रयास करते हैं। राजनीति एक ऐसा खेल है जो दिमाग से खेला जाता है और सत्ता तक पहुंचने के लिए परिस्थियों के अनुसार समय समय पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचकर कड़े फैसले भी लेने पड़ते हैं, और जो कौमे भावनाओं में उलझकर, बुद्धि का प्रयोग न करके कि

देश के अलग अलग राज्यों में कुर्मी नेतृत्व वाले राजनितिक दलों की लिस्ट पढ़े |

देश के अलग अलग राज्यों में कुर्मी नेतृत्व वाले राजनितिक दलों की लिस्ट पढ़े |  सभी दल   किसान हित , सामाजिक न्याय व् देश और समाज में वैज्ञानिक सोच पैदाकर विकास को आगे बढ़ाने वाली विचारधारा पर कार्य कर रहे है | लिस्ट पढ़े & SHARE जरुर करे State - Party- Party Leader बिहार - JDU - नितीश कुमार जी  बिहार - JDU - नितीश कुमार जी उत्तर प्रदेश -अपना दल-S - अनुप्रिया पटेल जी  उत्तर प्रदेश -अपना दल-S - अनुप्रिया पटेल जी  महाराष्ट्र - NCP - शरद पवार जी महाराष्ट्र - NCP - शरद पवार जी  आन्ध्र प्रदेश -TDP -चन्द्र बाबु नायडू जी आन्ध्र प्रदेश -TDP -चन्द्र बाबु नायडू जी गुजरात - हार्दिक जी गुजरात - हार्दिक जी  कर्णाटक -JD(S) - एच. डी. देवेगौड़ा जी कर्णाटक -JD(S) - एच. डी. देवेगौड़ा जी  आन्ध्र प्रदेश -जनसेना पार्टी -पवन कल्यान जी आन्ध्र प्रदेश -जनसेना पार्टी -पवन कल्यान जी तमिलनाडु -पुथिया तमिलागम - डॉ के.कृष्णासामी तमिलनाडु -पुथिया तमिलागम - डॉ के.कृष्णासामी  झारखण्ड- AJSU- सुदेश महतो झारखण्ड- AJSU- सुदेश महतो लिस्ट SHARE 

आइये जाने युगांडा की संसद में गरजने वाले पहले गैर ब्रिटिश अध्यक्ष :स्व० नरेंद्र भाई पटेल जी के बारे में

आइये जाने युगांडा की संसद में गरजने वाले पहले गैर ब्रिटिश अध्यक्ष :स्व० नरेंद्र भाई पटेल जी के बारे में   स्व० नरेंद्र भाई पटेल ; युगांडा के संसद के पहले गैर ब्रिटिश अध्यक्ष जीवनी: - नरेंद्र का जन्म भारत में ही खेड़ा जिले के पिज नामक एक छोटे से शहर में हुआ था और यही पालन पोषण हुआ। - वह एक ब्रिटिश वकील सर यू बोवेस ग्रिफिन और अस्थायी अध्यक्ष के रूप में पूर्व युगांडा के मुख्य न्यायाधीश के उत्तराधिकारी बने और बाद में 1963 में सर्वसम्मति से चुने गए। - जब राष्ट्रपति मिल्टन ओबोट ने बुगांडा साम्राज्य के साथ बाहर निकलने के बाद संविधान को रद्द कर दिया उस समय वह एक अध्यक्ष थे और उन्होंने नये  “Pigeon Hole Constitution" की नीव रखी | - वह पहले गणराज्य के अध्यक्ष भी थे जो साम्राज्यों पर प्रतिबंध लगाने के बाद बनाए गए थे। - लेकिन पहले अध्यक्ष के तौर पर उनके पास ज्यादा शक्ति नहीं थी क्योंकि सरकार सभी निर्णय लेने के केंद्र में  स्वयं थी। - नरेंद्र शासनकाल 1971 में समाप्त हुआ जब इदी अमीन ने सत्ता संभाली। - दूसरी संसद में सेवा देने के बाद, उन्होंने 1972 में यूगांडा दे

छत्रपति शिवाजी के वंशज कोल्हापुर के शासक कुर्मी कुल गौरव छत्रपति शाहूजी महाराज के बारे में जरुर पढ़े

छत्रपति साहू महाराज  ( जन्म- 26 जून 1874 ; मृत्यु- 6 मई ,  1922 ,  मुम्बई ) को एक  भारत  में सच्चे प्रजातंत्रवादी और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता था। वे  कोल्हापुर  के  इतिहास  में एक अमूल्य मणि के रूप में आज भी प्रसिद्ध हैं। छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गरीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए। साहू महाराज के शासन के दौरान ' बाल विवाह ' पर ईमानदारी से प्रतिबंधित लगाया गया। उन्होंने अंतरजातिय विवाह और विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में समर्थन की आवाज उठाई थी। इन गतिविधियों के लिए महाराज साहू को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। साहू महाराज  ज्योतिबा फुले  से प्रभावित थे और लंबे समय तक 'सत्य शोधक समाज', फुले द्वारा गठित संस्था के संरक्षण भी रहे। जन्म परिचय छत्रपति साहू महाराज का जन्म 26 जून, 1874 ई. को हुआ था।

छत्रपति शाहू जी महाराज जी के जीवन पर विशेष लेख ( 26 जून 1874 - 6 मई 1922 ) जरुर पढ़े और share भी करे

छत्रपति शाहू जी महाराज जी के जीवन पर विशेष लेख ( 26 जून 1874 - 6 मई 1922 ) छत्रपति शाहूजी महाराज जी अपनी शिक्षा पूरी कर चुके थे और वह कोल्हापुर राज्य के कार्यों में रूचि लेने लगे थे | राज्य की शिक्षा व्यवस्था की ओर भी छत्रपति शाहूजी महाराज का ध्यान जानें लगा था |  l3 अप्रैल 1893 को राजाराम कॉलेज की ओर से उन्होंने पुरस्कार वितरण हेतु आमंत्रित किया गया| 2 अप्रैल 1894 का वह दिन था जब छत्रपति शाहूजी महाराज को एक नरेश के रूप में सिंघासन पर बैठना था | मुंबई के गर्वनर लार्ड हैरिस ने इसके लिए एक विशेष दरबार की व्यवस्था की | इस दरबार में राजे-महराजे, प्रमुख सरदार, अधिकारी, कोल्हापुर के शासनाधिकारी तथा महत्वपूर्ण व्यक्ति उपस्थित थे | एक लम्बी अवधि के पश्चात कोल्हापुर राज्य को शाहूजी महाराज के रूप में एक धीर-वीर नरेश प्राप्त हुआ था| समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार छत्रपति शाहूजी महाराज जी जिस समय गद्दी पर बैठे, उस समाज समाज के दशा कई दृष्टियों से सोचनीय थी| जाति-पात, ऊँच-नीच, छुआ-छूत, मानवाधिकारों की असमानता, निर्धन कृषकों और मजदूरों की दीन-हीन स्थिति,

1857 के ‘अमर शहीद राजा जयलाल सिंह’ पर जारी होगा डाक टिकट

अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ। इस स्वतंत्रता संग्राम में अवध में अमर शहीद राजा जयलाल सिंह ने ब्रिटानिया हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी थी। कुर्मी कुलभूषण अमर शहीद राजा जयलाल सिंह पर जल्द ही भारत सरकार डाक टिकट जारी करने जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को इस बाबत केंद्रीय संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनोज सिन्हा जी से मुलाकात की। उन्होंने जल्द से जल्द इस अमर शहीद के नाम पर डाक टिकट जारी करने का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा,” केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा जी ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अमर शहीद राजा जयलाल सिंह पर डाक टिकट जारी किया जाएगा। राजा साहब ने 1857 की क्रांति के दौरान अवध में अंग्रेजों को कई बार शिकस्त दी। उन्होंने लखनऊ को अंग्रेजी सेना से मुक्त करा लिया।” बता दें कि राजा जयलाल सिंह का जन्म 1803 ई. में राजा दर्शन सिंह ‘गालिब जंग’ के सम्पन्न कुर्मी राजकुल में ग्राम बदौला स्टेट, पो.अतरौली, जिला- आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग द्

सौराष्ट्र के पटेलों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बनाया गौरवशाली

भारत को अंतरराष्ट्रीय फलक पर गौरवशाली बनाने का श्रेय भारतीय प्रवासी समुदाय विशेषकर सौराष्ट्र पटेल समुदाय को जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सौराष्ट्र पटेल सांस्कृतिक समाज के 8वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। सौराष्ट्र पटेल सांस्कृतिक समाज का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन इस साल अमेरिका के कैलीफोर्निया में हो रहा है। प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीय समुदाय से अपील की कि कम से कम पांच विदेशी परिवारों को प्रतिवर्ष भारत दर्शन के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत जैसी सरकार की विभिन्न योजनाओं से देश में पर्यटन को प्रोत्साहन मिला है। प्रवासी भारतीयों के प्रयास से सभी जगह भारतीय पासपोर्ट के प्रति सम्मान सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे एक भारत, श्रेष्ठ भारत अभियान के उद्देश्य को पूरा करने का नया मार्ग प्रशस्त हो सकता है और भारत के पर्यटन विकास को बढ़ावा मिलेगा। रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को सफल बनाने में योगदान कर सकते हैं। भारत 2 अक्टूबर से महात्

छत्रपति संभाजी महाराज का वह अनकहा इतिहास जो कुर्मियों ने आज भुला दिया

आज हम सभी बात करने वाले हैं छत्रपति संभाजी महाराज के एक ऐसे ऐसे इतिहास के बारे में जोकि आप में से बहुत से बंधुओं को नहीं पता होगा क्योंकि हमारे समाज के ठेकेदार ऐसा नहीं चाहते हैं कि हमारे युवाओं को वह अगली पीढ़ी को यह इतिहास पता चले क्योंकि हो सकता है कि इससे उनकी विचारधारा का विकास रुक जाए और उनकी झूठ की दुकाने ध्वस्त हो जाए छत्रपति संभाजी महाराज देश नहीं बल्कि विश्व के एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्होंने 128 युद्ध लड़ें और सारे के सारे जीते।   इतिहास के एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने शास्त्र व शस्त्र दोनों में ही महारथ हासिल की थी सिर्फ 13 वर्ष की आयु में उन्होंने 13 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था तथा बुधभूषण जैसे कई शास्त्र खुद लिखे जिसमें उन्होंने अपने रायगढ़ के किले व गणपति का अति सुंदर उल्लेख भी किया। संभाजी महाराज के सामने औरंगजेब की की बड़ी सेना थी जिनके पास ज्यादा हथियार, ज्यादा संसाधन, ज्यादा पैसे, ज्यादा सैनिक सब कुछ ज्यादा था ज्यादा था पर औरंगजेब कभी भी किसी भी युद्ध में छत्रपति संभाजी महाराज को हरा नहीं सका।  अब बात आती है जब छत्रपति संभाजी महाराज कभी