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ज़रूर पढ़े उत्तर प्रदेश का भ्रमित कुर्मी समाज को दशा और दिशा देने वाला लेख : शासक कौम बनना है या गुलाम ?

उत्तर प्रदेश का भ्रमित कुर्मी समाज को दशा और दिशा देने वाला लेख : शासक कौम बनना है या गुलाम ?


उत्तर प्रदेश का भ्रमित कुर्मी समाज की दशा और दिशा


साथियो दुनियां में दो प्रकार की कौमे होती हैं एक कौम जो दिमाग से निर्णय लेती है और दूसरी वो जो दिल से सोचती और निर्णय लेती है। जो कौमे दिमाग से निर्णय लेती हैं वो शासक बन जाती हैं और जो दिल से निर्णय लेती है वह सत्ता से दूर चली जाती है क्यों कि सत्ता दिमाग का खेल है जो दिल से खेल के जीता नही जा सकता। इसीलिए इस देश मे संख्या बल में बहुत कमजोर वर्ग सत्ता में काविज रहता है और संख्या बल में ताकतवर वर्ग भी सत्ता से दूर है और विकास में पिछड़ जाता है क्यों कि सत्ता ही विकास की चावी है, जब कि जनतंत्र में होना इसके उलट चाहिए। आखिर यह गलती क्यों हो रही है और इस गलती को कैसे सुधारा जा सकता है। इसे समझने का प्रयास करते हैं।

राजनीति एक ऐसा खेल है जो दिमाग से खेला जाता है और सत्ता तक पहुंचने के लिए परिस्थियों के अनुसार समय समय पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचकर कड़े फैसले भी लेने पड़ते हैं, और जो कौमे भावनाओं में उलझकर, बुद्धि का प्रयोग न करके किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती और कड़े फैसले नहीं ले पाती उसका खामियाजा पीढ़ियों को भुगतना पड़ता है। इतिहास गवाह है सत्ता के लिए कभी कभी सत्ता में बाधक सगे संबंधियों का भी त्याग करना पड़ता है और ऐसा इसलिए नही करते है कि वह उन्हें प्यार नही करते वल्कि इसलिए करते है कि समय की मांग होती है जिसके लिए यह त्याग और कुर्वानी आवश्यक हो जाती है।

उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज के सामने भी आज यही चुनौती है। पेशे से किसान, ईमानदार, मेहनती और सरल स्वभाव वाली यह कौम अपने निर्णय दिल से लेती है और यही कारण है आज तक यह कौम जो हर प्रकार से ताकतवर होते हुए भी सत्ता में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित नही कर पाई है। इस समाज को नेतृत्व देने का काम में यशकायी डॉ सोनेलाल पटेल जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया और उनके प्रयास से ही अपना दल नाम की पार्टी का गठन हुआ जिसने समाज को नेतृत्व देने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू किया ही था तभी डॉक्टर साहब का इंतकाल हो गया।उनके स्वर्गवासी होने के बाद अपना दल दो गुटों में विभाजित हो गया और ऐसी स्थि में समाज फिर एक बार भ्रमित हो गया। दिल से सोचने वाला समाज दोनों गुटों में विभाजित हो गया और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से अछूता रह गया। इसी बीच एक गुट अपनी राजनीतिक चातुर्य से उत्तर प्रदेश के सत्ता में एक छोटी सी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने में कामयाब हो गया। दूसरा दल आज भी अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहा है। कुछ चंद स्वार्थी लोगो को छोड़कर , पूरा समाज दोनों दलों के नेतृत्वकर्ताओं से सहानभूति रखता है और उम्मीद करता है कि मतभेद दूर हो और दोनों दल एक हो जाएं ताकि कुर्मी समाज को सही दिशा मिल सके। लेकिन यह संभव हो न सका ऐसी स्तिथि में समाज की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वह जज्बातो और भावनाओं को दरकिनार कर समाज हित मे बौद्धिक निर्णय ले ताकि समाज अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित कर सके। अब प्रश्न यह है कि बौद्धिक निर्णय क्या हो सकता है। हम किसान है और आइए हम इसे अपने तरीके से ही समझते हैं। जब हम कोई पौधा लगाते हैं और यह इच्छा रखते है कि यह पौधा बहुत ऊंचा और विशालकाय बृक्ष बने उसके लिए हम क्या करते है यह हम सभी जानते हैं कि हम हर साल पौधे की मुख्य तना जो सीधा और ऊपर की ओर जा रहा होता है उसको छोड़कर सभी दूसरी साखाओ को काट देते है और जैसे ही ऐसा करते है मुख्य तना और तेजी से मजबूत होकर ऊपर की ओर बढ़ता है और कई बार तो जो शाखाएं हम काट रहे होते है वह ऊपर जा रहे सीधे तने से भी मोटी और मजबूत होती है फिर भी दिल पर पत्थर रखकर हम काट देते है ताकि जो तना सबसे ऊपर आसमान की ओर जा रहा होता है वह और ऊपर जाकर विशालकाय बृक्ष बन सके। यही फार्मूला आज की परिस्थिति में भी लागू होता है अगर हम चाहते है कि कुर्मी समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित हो तो आज 9 विधायक, 2 सांसद और 1-MLC बना चुका अपना दल एस के पीछे समाज को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए ताकि यह राजनीति का बटबृक्ष बन सके अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ियां हमे कभी माफ नही करेंगी। हमे शासक वर्ग की तरह सोचना होगा। जज्बातो और भावनाओं की तिलांजलि देनी होगी। बौद्धिक निर्णय लेना होगा। हमारा किसी गुट से विरोध नहीं है दोनों दल हमारे अपने है अगर दूसरा गुट अधिक कामयाबी हासिल कर लेता तो हम उसके साथ खड़ा होने की अपील करते क्यों कि हमे जो मुख्य तना सीधा ऊपर निकल रहा है उसे ही बटवृक्ष बनाना है अन्यथा यह बृक्ष वहीं जमीन पर चारो तरफ फैला रहेगा कभी ऊंचा नहीं होगा अगर हम इसकी छटाई नहीं करेंगे। मेरी सभी समाज के बुद्धिजीवियों से अपील है कि चिंतन करें और समाज हित मे बौद्धिक निर्णय लें अब समय आ गया है अनुप्रिया जी के पीछे समाज एकजुट होकर खड़ा हो ताकि 2022 में अनुप्रिया जी को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को और बलवती बनाया जा सके। दूसरा दल भी हमारा अपना परिवार है अपने लोग है उनका भी पूरा सम्मान है समय आने पर हम सब एक होंगे लेकिन तब तक हम अनुप्रिया जी के बढते कदमो को नही रोक सकते उनके कदमो को ताकत देनी होगी तभी उत्तर प्रदेश में समाज को मजबूत किया जा सकता है|
निर्णय आपके हाथ मे है शासक कौम बनना है या गुलाम।

जय शिवाजी।
जय सरदार।
लेखक : एक वरिष्ठ सामाजिक चिंतक

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