आज हम सभी बात करने वाले हैं छत्रपति संभाजी महाराज के एक ऐसे ऐसे इतिहास के बारे में जोकि आप में से बहुत से बंधुओं को नहीं पता होगा क्योंकि हमारे समाज के ठेकेदार ऐसा नहीं चाहते हैं कि हमारे युवाओं को वह अगली पीढ़ी को यह इतिहास पता चले क्योंकि हो सकता है कि इससे उनकी विचारधारा का विकास रुक जाए और उनकी झूठ की दुकाने ध्वस्त हो जाए छत्रपति संभाजी महाराज देश नहीं बल्कि विश्व के एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्होंने 128 युद्ध लड़ें और सारे के सारे जीते।
इतिहास के एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने शास्त्र व शस्त्र दोनों में ही महारथ हासिल की थी सिर्फ 13 वर्ष की आयु में उन्होंने 13 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था तथा बुधभूषण जैसे
कई शास्त्र खुद लिखे जिसमें उन्होंने अपने रायगढ़ के किले व गणपति का अति सुंदर उल्लेख भी किया। संभाजी महाराज के सामने औरंगजेब की की बड़ी सेना थी जिनके पास ज्यादा हथियार, ज्यादा संसाधन, ज्यादा पैसे, ज्यादा सैनिक सब कुछ ज्यादा था ज्यादा था पर औरंगजेब कभी भी किसी भी युद्ध में छत्रपति संभाजी महाराज को हरा नहीं सका।
अब बात आती है जब छत्रपति संभाजी महाराज कभी हारे नहीं तो उनकी मृत्यु कैसे हुई संभाजी जैसे वीर को हरा पाना पाना औरंगजेब तो क्या उनके वंश भर में किसी के अंदर इतना सामर्थ नहीं । अपितु जैसे कि हमने हमने देखा हमने पढ़ा आक्रमणकारी, घुसपैठिए कभी भी हमारे वीर सपूतों के आगे नहीं टिक पाए और औरंगजेब भी ही जान गया था वह जान गया था की संभाजी महाराज को युद्ध में हराना असंभव है तभी उसने छल का सहारा लेना शुरू किया उसने छत्रपति संभाजी महाराज के नाराज रिश्तेदार से संपर्क किया उसे कुछ लालच दिया और बदले में उसने औरंगजेब को छत्रपति संभाजी महाराज के एक गुप्त मार्ग की जानकारी दी जहां पर संभाजी महाराज अपने सलाहकार कवि कलश के साथ जा रहे थे और परिणाम स्वरूप वहां पर उनको पकड़ लिया गया संभाजी महाराज और कवि कलश को उठ पर पर उल्टा लटकाकर पूरे शहर में घुमाया गया लोगों को कहा गया कि वह उन पर पत्थर मारे उन पर मूत्र त्याग करें को कहा फिर उन्हें जेल में बंद कर दिया गया उन्हें कुछ शर्ते दी गई गई शर्त यह थी की अपना हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल कर लो तथा अपना साम्राज्य हमें दे दो बदले में हम तुम्हें जागीर देंगे जमीन देंगे सोने के सिक्के बहुत सारे पैसे और संसाधन देंगे तुम्हें शक्तिशाली और सुरक्षित बना देंगे संभाजी महाराज ने नहीं माना छत्रपति संभाजी महाराज को औरंगजेब की जेल में बहुत सी यातनाएं दी गई।
पहले उनकी उंगलियां काटी गई उनके आंखों में गरम सरिया डाला गया उनकी खाल को उधाडना शुरू किया गया गया संभाजी महाराज बहुत सी यातनाएं सहते पर अपना धर्म व धरती का त्याग ने मंजूर नहीं था अंत में औरंगजेब हार गया और कहा की "छत्रपति शिवाजी महाराज ने बहुत पुण्य किया होगा जो उसको तुम्हारे जैसा बेटा मिला मेरे 4 बेटों में से से एक भी अगर तुम्हारी तरह होता तो मैं आज भारत नहीं पूरे विश्व को मुगल संनतल्त बना देता है बना देता है मैं हार गया संभाजी" यह कहते हुए उसने अपने सैनिकों को संभाजी के शरीर को काट डालने को काट डालने का आदेश दिया दिया और उनकी अस्तियों को पास की नदी में फेक दिया जब उनकी अस्थियां नदी के प्रवाह के साथ बहती हुई मराठा साम्राज्य में आई तो वह भयानक दृश्य देखकर एक एक मराठा का खून खौल उठा और फिर क्या औरत क्या बच्चा क्या बूढ़ा सबने अब शस्त्र उठा लिए थे जिसके परिमाण स्वरूप मुगल साम्राज्य अगले कुछ वर्षों में ही जमीन पर आ गया था हमने आज इतिहास का या पाठ आपके सामने इसलिए लाया क्योंकि हमारी युवाओं को छत्रपति संभाजी महाराज से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है हमारे अंदर जोश की कमी बिल्कुल नहीं अगर है तो होश की है हम बिना इतिहास के अध्ययन व स्मरण के कोई वादी या पंथी बन बैठते हैं पर हमें यह ज्ञात होना चाहिए हम छत्रपति संभाजी महाराज के वंशज है । मराठा ध्वज का गौरव हमारे और आपके कृतियों पर ही निर्भर है।
Bhut achchhi jankari ese hi dete rho bhai
ReplyDeleteकुर्मी कुल भूषण छत्रपति शम्भा जी महाराज को उनकी जयंती पर शत शत शत नमन
ReplyDeleteJay कुर्मी समाज 🙏🙏💪
ReplyDeleteHii
DeleteWe Maratha not Kurmi hum sirf maratha hai .
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteसंभा जी को पेशवाआं की गद्दारी के कारण पकर लिया।पकरवाया पेशवाओं अर्थात ब्रह्मणों ने।
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