राजा कृष्णदेव राय मध्यकालीन समय के सबसे महान शासकों में से एक थे। उन्होंने सन 1509 से लेकर 1529 तक शासन किया। उनका साम्राज्य वर्तमान समय के कर्नाटक, तमिल नाडु, केरल,तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, अरब सागर व बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ था । उन्होंने पूरे दक्षिण भारत मे एकक्षत्र राज्य की स्थापना की। जब पूरे भारत पर मुस्लिम आक्रमणकारियों व घुसपैठियों ने हमला किया था तब राजा कृष्णदेव राय के प्रताप की वजह से ही वह दक्षिण में अपना प्रभाव नही जमा सके। राजा कृष्णदेव राय ना सिर्फ एक महान योद्धा और प्रशासक ही नही थे बल्कि उनके कार्यकाल के समय भारतीय संस्कृति, कला व संगीत का भी अत्यधिक विकाश हुआ उन्हें कवियों कक संरक्षक भी कहा जाता है ।राजा कृष्णदेव राय ने खुद कन्नड़ भाषा मे एक अमुक्तमलयदा नाम का एक साहित्य लिखा।उनके सभा मे कन्नड़ भाषा के 8 कवि भी रहते से जिन्हें अस्तदिग्गज नाम भी जाना जाता था। उनके नाम निम्नलिखित है। अल्लसानि पेदन्न, नन्दि तिम्मन, धूर्जटि, मादय्यगारि मल्लन अय्यलराजु रामभध्रुडु पिंगळि सूरन रामराजभूषणुडु (भट्टुमूर्ति) पंडित तेनालि रामकृष्णा। उन्होंने आक्रमणकारियों द्वारा गिराए...