इसमे कोई भी संदेह नही है कि महिलाएं पुरुषो से किसी भी मायने में काम
होती है । हम भारतवर्ष में रहते है जहाँ महिलाओं को देवी के रूप में पूजा
जाता है और ताराबाई जैसी स्त्रियां इसी कथन को सत्य सिद्ध कर देती है। एक
ऐसी स्त्री जिसके पति की मृत्यु हो गयी हो , वह चारो ओर से आक्रमणकारियो से
घिरी हो घर मे भी भीषण गृहयुद्ध चल रहा हो अंदर और बार समस्याए हर जगह हो
परंतु इतनी सारी दुविधाओं के बाद भी मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव
प्रयासरत हो।

मुस्लिम इतिहासकार खासी खान ने ताराबाई की भरपूर प्रसंसा करते हुए लिखा है कि
ताराबाई के दिशा-निर्देश में मराठो की गतिविधियों दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी । उसने सेनापतियों की नियुक्ति और स्तानन्तरण, देश की कृषि उपज तथा मुग़ल अधिपत्य के अधीन प्रदेशो पर हमला की योजनाएं आदि सभी कार्यो की नियंत्रण स्वयं अपने हाथों में ले लिया । उसने अधिकारियों का हृदय विजित करने के लिए सैनिक टुकड़ियों को भेजने की ऐसी व्यवस्था की कि उसके कार्यकाल में मराठो के विरुद्ध औरंगजेब द्वारा किये सारे प्रयाश विफल हो गए ।
ताराबाई ने जगह जगह जाकर मुगलों के विरुद्ध मराठा अभियानों को दिशा निर्देश दिया।
1703 – मराठो ने बरार पर आक्रमण किया
1706 – गुजरात पर हमला करके बरोदा को लूटा
1706- अहमदनगर में औरंगजेब के शिविर पर धावा बोला ।

इस अराजक व अव्यवस्थित स्तिथि में 3 मार्च 1707 को औरंगजेब की मृत्यु हो गयी ।
उस समय ताराबाई सत्तारूढ़ थी लगभग आधी सताब्दी तक चले इस मराठा-मुग़ल संघर्स के दौरान औरंगजेब की व्यापक राजनीतक योजनाए विफल रही सेनायें छीन-भिन्न हो गयी , संसाधन खत्म हो गए वर्षो तक भारत पर सीना चौड़ा कर खड़ने रहने वाला मुग़ल साम्राज्य अब गुठनो पर आ गया था।
हमे और प्रत्येक मराठा कुर्मी को गर्व है ताराबाई जैसी वीर स्त्री पर जिसने मुग़ल साम्राज्य को धूल चटाई और आर्यावर्त की धरती को घुसपैठथियो से मुक्त किया।

मुस्लिम इतिहासकार खासी खान ने ताराबाई की भरपूर प्रसंसा करते हुए लिखा है कि
ताराबाई के दिशा-निर्देश में मराठो की गतिविधियों दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी । उसने सेनापतियों की नियुक्ति और स्तानन्तरण, देश की कृषि उपज तथा मुग़ल अधिपत्य के अधीन प्रदेशो पर हमला की योजनाएं आदि सभी कार्यो की नियंत्रण स्वयं अपने हाथों में ले लिया । उसने अधिकारियों का हृदय विजित करने के लिए सैनिक टुकड़ियों को भेजने की ऐसी व्यवस्था की कि उसके कार्यकाल में मराठो के विरुद्ध औरंगजेब द्वारा किये सारे प्रयाश विफल हो गए ।
ताराबाई ने जगह जगह जाकर मुगलों के विरुद्ध मराठा अभियानों को दिशा निर्देश दिया।
1703 – मराठो ने बरार पर आक्रमण किया
1706 – गुजरात पर हमला करके बरोदा को लूटा
1706- अहमदनगर में औरंगजेब के शिविर पर धावा बोला ।

इस अराजक व अव्यवस्थित स्तिथि में 3 मार्च 1707 को औरंगजेब की मृत्यु हो गयी ।
उस समय ताराबाई सत्तारूढ़ थी लगभग आधी सताब्दी तक चले इस मराठा-मुग़ल संघर्स के दौरान औरंगजेब की व्यापक राजनीतक योजनाए विफल रही सेनायें छीन-भिन्न हो गयी , संसाधन खत्म हो गए वर्षो तक भारत पर सीना चौड़ा कर खड़ने रहने वाला मुग़ल साम्राज्य अब गुठनो पर आ गया था।
हमे और प्रत्येक मराठा कुर्मी को गर्व है ताराबाई जैसी वीर स्त्री पर जिसने मुग़ल साम्राज्य को धूल चटाई और आर्यावर्त की धरती को घुसपैठथियो से मुक्त किया।
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