मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं मैं अपने अभी तक के 15 वर्ष के जीवन में
कभी भी महाराष्ट्र नहीं गया पर सोशल मीडिया के माध्यम से अपने से हजारों
किलोमीटर दूर बैठे अपने मराठा कुर्मी भाइयों से मिल पाया और मैं जितने भी
भाइयों से मिला उनमें से लगभग सब ने यह माना यह माना उत्तर मे हम जीने पटेल
कुर्मी कहते हैं और दक्षिण में जिन्हें हम मराठा कुनबी कहते हैं उनमें कोई
भी अंतर नहीं है पर बीच-बीच में से कुछ लोग मिलते रहते हैं जो इस बात से
सहमत नहीं हालांकि इस बात का कोई प्रूफ भी नहीं है कि वह मराठे हैं भी या
या भी या या नहीं क्योंकि आजकल तो फेक आईडी का नया ट्रेंड सा चला है फर्जी
मराठों द्वारा दिए जाने वाले कुछ बे-बुनियादी तर्क जिनके आधार पर वे पटेल
कुर्मी और मराठा कुनबीयों को को अलग बताते हैं
तर्क नंबर 1- मराठा कुनबी एक बड़ी जाती है और पटेल कुर्मी एक छोटी जाती है
तर्क नंबर 2- कुर्मी कृषक जाती है और मराठा नहीं तर्क नंबर 3-सारे राजवंश और राजा सिर्फ मराठों के हुए कुर्मियों के नहीं
तर्क नंबर 4- कुर्मी उत्तर के हैं और मराठे दक्षिण के तो इन दोनों में कोई समानता ही नहीं है।
इनके खोखले तर्कों को मेरा जवाब
तर्क नंबर 1- जब मनुष्य ऊंचा नीचा छोटा बड़ा इन सब चीजों का इस्तेमाल करने लगता है तो वह अपनी मानसिक स्थिति का परिचय दे देता है या उनके उनके पास कोई तर्क नहीं होता तो इस तरह बताते हैं ऐसी बात पर टिप्पणी करना इसे बढ़ावा देने जैसा है
तर्क नंबर 2- कुर्मी कृषक हैं बिल्कुल हम कृषक हैं पर मराठा कृषक नहीं है यह गलत है बिल्कुल गलत है छत्रपति शिवाजी महाराज को यही बात महान बनाती है उन्होंने अपने साम्राज्य के किसानों को शस्त्रों का प्रशिक्षण देकर उन्हें योद्धा बनाया और मुगलों के खिलाफ प्रयोग किया बहुत से पुस्तकों में आप को इन सारी चीजों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी कुनबी जाति भी भी खेतिज्ञर रही है वह भी कृषक ही हैं मुगलों को हराने के लिए तथा धर्म की रक्षा के लिए उन्हें शस्त्र उठाने पड़े और कृषक होना कोई शर्म की बात नहीं है ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र इन सभी चीजों से ऊपर की बात है कृषक होना इससे बढ़िया और क्या हो सकता है कि आप ऐसे वंश के हैं जो सदियों से लोगों का पेट भरा है
तर्क नंबर 3- सारी राजवंश सिर्फ मराठों की है यह गलत है उत्तर में भी पटेल कुर्मी अपना अलग वर्चस्व और गौरव है राजा जय लाल सिंह जी जो कि आजमगढ़ के नरेश थे गुरिल्ला युद्ध शैली में राजा जयलाल सिंह जी को अंग्रेजों द्वारा 1905 में फांसी दे दी गई थी बाद में राजा जय लाल सिंह जी के सम्मान में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजधानी लखनऊ में उनके नाम का एक पार्क का अनावरण किया तथा उनके नाम के डाक टिकट भी निकालें चौधरी ढुलके सिंह मध्य प्रदेश से आने वाले वाले आने वाले से आने वाले वाले आने वाले वाले चौधरी ढुलके सिंह एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी है पीलीभीत जो की उत्तर प्रदेश का एक जिला है वहां पर भी गंग वंश की कुर्मियों का शासन हुआ करता था बिहार में अवधी उपजाति के बहुत से राजवंश हुए झारखंड की संस्कृति में महतो कुर्मीयों का का अपना अलग सम्मान तथा प्रतिष्ठा है आरपीएन सिंह जोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं तथा पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं वह भी पडरौना राजवंश से संबंध रखते हैं कुर्तियों के दक्षिण तथा उत्तर दोनों में बहुत से राजवंश हुए राजवंश हुए और बहुत ख्याति बटोरी
तर्क नंबर 4- कुर्मी समाज की दो उप-जातियां एक जयसवार दूसरी सचान दोनों की उत्पत्ति महाराष्ट्र से और मराठों से संबंधित है जयसवार कुर्मियों को छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में घुड़सवार माना जाता था था जब वह घोड़े पर सवार होकर कहीं निकलते थे तो प्रजा खुश होकर जय सवार के नारे लगाने लगते थे इसी के बाद से इनका नाम जैसवार पड़ गया बाद में किन्हीं कारणों से इस समुदाय ने उत्तर की ओर रुख किया इसका एक कारण गंगा के मैदान की अच्छी मिट्टी भी हो सकती है क्योंकि हमारा समाज कृषक समाज है और कृषि कृषि के लिए अच्छा गंगा के मैदानी क्षेत्र हमारे लिए बसने के लिए अच्छे क्षेत्र हो सकते थे सचान यह मराठा साम्राज्य के एक पदाधिकारी हुआ करते थे इनका काम साम्राज्य के अंदर आने वाले मुसलमानों तथा राजस्थान के राजपूतों से कर वसूला था बाद में यह भी किन्हीं कारणों से उत्तर की ओर आकर बस गए गए बस गए हो सकता है यह भी गंगा के मैदानी क्षेत्रों की वजह से ही यहां आ गए मराठा कुनबी और पटेल कुर्मी में कोई भी असमानता नहीं है राज्य- राज्य की अपनी अलग भाषा होती है इसी की वजह से यह शब्द कभी कुर्मी कुणबी कुनबी तो कभी कानबी भी बन जाता है पर रक्त हर राज्य हर क्षेत्र में एक ही रहता है हम सभी एक हैं एक वंशज की संतान है और अब समय आ गया है कि हम सभी एक हो और देश और दुनिया को अपनी शक्ति का परिचय दें जय कुर्मी समाज
कुर्मी एकता जिंदाबाद
तर्क नंबर 1- मराठा कुनबी एक बड़ी जाती है और पटेल कुर्मी एक छोटी जाती है
तर्क नंबर 2- कुर्मी कृषक जाती है और मराठा नहीं तर्क नंबर 3-सारे राजवंश और राजा सिर्फ मराठों के हुए कुर्मियों के नहीं
तर्क नंबर 4- कुर्मी उत्तर के हैं और मराठे दक्षिण के तो इन दोनों में कोई समानता ही नहीं है।
इनके खोखले तर्कों को मेरा जवाब
तर्क नंबर 1- जब मनुष्य ऊंचा नीचा छोटा बड़ा इन सब चीजों का इस्तेमाल करने लगता है तो वह अपनी मानसिक स्थिति का परिचय दे देता है या उनके उनके पास कोई तर्क नहीं होता तो इस तरह बताते हैं ऐसी बात पर टिप्पणी करना इसे बढ़ावा देने जैसा है
तर्क नंबर 2- कुर्मी कृषक हैं बिल्कुल हम कृषक हैं पर मराठा कृषक नहीं है यह गलत है बिल्कुल गलत है छत्रपति शिवाजी महाराज को यही बात महान बनाती है उन्होंने अपने साम्राज्य के किसानों को शस्त्रों का प्रशिक्षण देकर उन्हें योद्धा बनाया और मुगलों के खिलाफ प्रयोग किया बहुत से पुस्तकों में आप को इन सारी चीजों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी कुनबी जाति भी भी खेतिज्ञर रही है वह भी कृषक ही हैं मुगलों को हराने के लिए तथा धर्म की रक्षा के लिए उन्हें शस्त्र उठाने पड़े और कृषक होना कोई शर्म की बात नहीं है ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र इन सभी चीजों से ऊपर की बात है कृषक होना इससे बढ़िया और क्या हो सकता है कि आप ऐसे वंश के हैं जो सदियों से लोगों का पेट भरा है
तर्क नंबर 3- सारी राजवंश सिर्फ मराठों की है यह गलत है उत्तर में भी पटेल कुर्मी अपना अलग वर्चस्व और गौरव है राजा जय लाल सिंह जी जो कि आजमगढ़ के नरेश थे गुरिल्ला युद्ध शैली में राजा जयलाल सिंह जी को अंग्रेजों द्वारा 1905 में फांसी दे दी गई थी बाद में राजा जय लाल सिंह जी के सम्मान में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजधानी लखनऊ में उनके नाम का एक पार्क का अनावरण किया तथा उनके नाम के डाक टिकट भी निकालें चौधरी ढुलके सिंह मध्य प्रदेश से आने वाले वाले आने वाले से आने वाले वाले आने वाले वाले चौधरी ढुलके सिंह एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी है पीलीभीत जो की उत्तर प्रदेश का एक जिला है वहां पर भी गंग वंश की कुर्मियों का शासन हुआ करता था बिहार में अवधी उपजाति के बहुत से राजवंश हुए झारखंड की संस्कृति में महतो कुर्मीयों का का अपना अलग सम्मान तथा प्रतिष्ठा है आरपीएन सिंह जोगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं तथा पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं वह भी पडरौना राजवंश से संबंध रखते हैं कुर्तियों के दक्षिण तथा उत्तर दोनों में बहुत से राजवंश हुए राजवंश हुए और बहुत ख्याति बटोरी
तर्क नंबर 4- कुर्मी समाज की दो उप-जातियां एक जयसवार दूसरी सचान दोनों की उत्पत्ति महाराष्ट्र से और मराठों से संबंधित है जयसवार कुर्मियों को छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में घुड़सवार माना जाता था था जब वह घोड़े पर सवार होकर कहीं निकलते थे तो प्रजा खुश होकर जय सवार के नारे लगाने लगते थे इसी के बाद से इनका नाम जैसवार पड़ गया बाद में किन्हीं कारणों से इस समुदाय ने उत्तर की ओर रुख किया इसका एक कारण गंगा के मैदान की अच्छी मिट्टी भी हो सकती है क्योंकि हमारा समाज कृषक समाज है और कृषि कृषि के लिए अच्छा गंगा के मैदानी क्षेत्र हमारे लिए बसने के लिए अच्छे क्षेत्र हो सकते थे सचान यह मराठा साम्राज्य के एक पदाधिकारी हुआ करते थे इनका काम साम्राज्य के अंदर आने वाले मुसलमानों तथा राजस्थान के राजपूतों से कर वसूला था बाद में यह भी किन्हीं कारणों से उत्तर की ओर आकर बस गए गए बस गए हो सकता है यह भी गंगा के मैदानी क्षेत्रों की वजह से ही यहां आ गए मराठा कुनबी और पटेल कुर्मी में कोई भी असमानता नहीं है राज्य- राज्य की अपनी अलग भाषा होती है इसी की वजह से यह शब्द कभी कुर्मी कुणबी कुनबी तो कभी कानबी भी बन जाता है पर रक्त हर राज्य हर क्षेत्र में एक ही रहता है हम सभी एक हैं एक वंशज की संतान है और अब समय आ गया है कि हम सभी एक हो और देश और दुनिया को अपनी शक्ति का परिचय दें जय कुर्मी समाज
कुर्मी एकता जिंदाबाद
Why we are not united!
ReplyDeleteWhy we are arguing!
Now it's time to be United
KURMI avatar as kurm vansh!
जय कुर्मी
ReplyDeleteRight information 😍😍
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